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कम पैसे में मोटी कमाई, जानें खरबूजे की खेती करने का सही तरीका

कम पैसे में मोटी कमाई, जानें खरबूजे की खेती करने का सही तरीका

गर्मियों के सीजन में सबसे ज्यादा पसंद किये जाने फलों में से एक खरबूजा भी है. कई तरह के रोगों से बचाने वाले खरबूजे की खेती से किसान मोटी कमाई कर सकते हैं. पंजाब, यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र, एमपी और राजस्थान जैसे कई राज्यों में खरबूजे की खेती की जाती है. 

लेकिन इन राज्यों में खरबूजे का सबसे ज्यादा उत्पादन किया जाता है. अगर खरबूजे की खेती करने की तकनीक आधुनिक हो और बड़े पैमाने पर हो, तो किसान इससे अच्छी खासी मोटी कमाई कर सकते हैं. 

हालांकि केंद्र और राज्य दोनों ही सरकार किसानों को कृषि कार्यों में खेती और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देती है. अब ज्यादातर लोग नौकरी चाकरी छोड़कर कहती की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में खरबूजे की खेती करना उनके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है.

खरबूजे की खेती करने का सही तरीका

रबी सीजन के बाद जायद सीजन में खरबूजे की खेती बड़े पैमाने में की जाती है. क्योंकि रबी सीजन के बाद फसलें काट दी जाती हैं, और खेत खाली हो जाते हैं. 

जिसमें खरबूजे की बागवानी करके लाखों कमाए जा सकते हैं. गर्मियों में खरबूज खूब बिकते हैं, ऐसे में खाली पड़ी जमीन का भी इस्तेमाल हो जाता है. 

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गर्मी के मौसम में खरबूजे की खेती लगभग एक हेक्टेयर के खेत में करीब दो सौ से ढ़ाई सौ क्विंटल का उत्पादन मिल सकता है. जिससे किसान इसकी एक बार की फसल से चार से पांच लाख का मुनाफा कमा सकते हैं. 

इतना ही नहीं सरकार की तरफ से खरबूजे के बीज पर 35 फीसद अनुदान दिया जाता है. अगर आप भी खरबूजे की खेती करके मोटी कमाई करना चाहते हैं, तो पहले इससे जुड़ी सभी जानकारी को जान लें, जो आपके काम आ सकती है.

जानिए खरबूजे का इस्तेमाल

खरबूजे को कद्दूवर्गीय फसल कहा जाता है. इसे नगदी फसल के रूप में उगाया जाता है. ये बेल के रूप में विकास करता है. खरबूजा खाने में मीठा और स्वादिष्ट होता है. 

इसे सलाज या इसका जूस भी पिया जा सकता है. गर्मियों में इस फल को खाने से हाइड्रेशन मिलता है. खरबूजे में 90 फीसद पानी होता है और 9 फीसद कार्बोहाइड्रेट होता है.

पौष्टिक तत्वों से भरपूर खरबूजे के बीज

खरबूजे के बीज कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं. खरबूजे में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं. 

इन पोषक तत्वों के अलावा खरबूजे के बीज में और भी पोषक तत्व होते हैं, जिनमें कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम और विटामिन ए, बी भी होता है. 

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जानिए खरबूजे की किस्में

पूसा शरबती

इस किस्म के खरबूजे के छिलके का रंग गुलाबी होता है. इसकी एक बेल पर चार से पांच फल लगते हैं. इसका छिलका जालीदार और गूदा मोटा होता है.

पंजाब सुनहरी

इस तरह के किस्म के खरबूजे की बेल की लम्बाई ज्यादा होती है. यह पकने में हल्के पीले रंग का नजर आता है. इसके एक फल का वजन आधे किलो से ज्यादा होता है.

पूसा मधुरस

इस किस्म के खरबूजे गोल और गहरे ग्रे रंग के होते हैं. इसके एक फल का वजन 600 ग्राम से ज्यादा होता है. एक बेल पर कम से कम 5 से 6 खरबूजे निकलते हैं.

आईवीएमएम 3

इस किस्म के खरबूजे धारीदार और पकने के पीले रंग के हो जाते हैं. यह काफी मीठे भी होते हैं.

हरा मधु

  • इस किस्म के खरबूजे का भार कम से कम एक किलो तक होता है.  यह काफी मीठा और मोटे गूदेदार होता है.
  • वैसे देखा जाए तो खरबूजे की कई तरह की किस्में होती हैं जो ज्यादा उत्पादन देने में सक्षम होती हैं.

खेती के लिए मिट्टी, समय और मौसम

अगर आप खरबूजे की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए हल्की रेतीली मिट्टी अच्छी होती है. इसके अलावा इसकी जमीन अच्छी जल निकास वाली होनी चाहिए. 

जायद के सीजन में खरबूजे की फसल सबसे अच्छो होती है. इस दौरान पौधों को पर्याप्त मात्रा उपयुक्त जलवायु मिल जाती है. खरबूजे के बीजों को अंकुरित होने के लिए शुरुआत 25 से 30 डिग्री टेम्प्रेचर की जरूरत होती है. 

जानकारी के लिए बता दें कि, खरबूजे के पौधे को बढ़ने के लिए 30 से 45 डिग्री टेम्प्रेचर की जरूरत होती है. 

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खेती के लिए कैसी हो तैयारी?

खरबूजे की खेती करने से पहले खेत की जुताई जरूरी होती है. जिसके बाद खेत को सींचा जाता है. जिसके कुछ दिनों के बाद जमीन को समतल करने के लिए पाटा किया जाता है. 

जिसके बाद बीजों की बुवाई करने के लिए क्यारियां बना ली जाती हैं. फिर इनमें जैविक और रसायनिक खाद का इस्तेमाल अच्छे से किया जाता है.

कितनी हो उर्वरक की मात्रा?

शुरुआत में 2 सौ से ढ़ाई सौ क्विंटल पुरानी गोबर की खाद को प्रति हेक्टेयर के किसाब से खेत में डाला जाना चाहिए. वहीं रासायनिक खाद में 60 किलो फास्फोरस, 40 किलो पोटाश और 30 किलो नाइट्रोजन की मात्रा का इस्तेमाल प्रति हेक्टेयर नालियों और क्यारियों मैं करना होता है. जब भी पौधे में फूल आने लगे तो, उस समय करीब 20 किलो यूरिया का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

क्या है बुवाई का सही तरीका

खरबूजे की खेती में बीजों की रुपाई और पौधा दोनों का इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर खेत एक हेक्टेयर है तो उसके लिए के से डेढ़ किलो बीजों की जरूरत होती है. 

शुरुआत में बीजों को बिमारियों का खतरा कम होता है. इन्हें क्यारियों या नालियों किसी में भी बो सकते हैं. बीजों की बुवाई करते वक्त दो फिट की दूरी रखें. 

उसके बाद तलक तकनीक से खेत की सिंचाई करें. फरवरी के महीने में खरबूजे के बीजों की रुपाई की जाती है. हफ्ते में दो सिंचाई और बारिश के सीजन में जरूरत के हिसाब से सिंचाई की जरूरत खरबूजे की खेती में होती है.

कैसे करें तुड़ाई?

खरबूजे की तुड़ाई इस बात पर भी निर्भर करती है, कि उसकी किस्म कौन सी है. खरबूजे के फल बुवाई के ढ़ाई से तीन महीने बाद तैयार हो जाते हैं. अगर खरबूजे का फल 90 फीसद पक गया है तो उसे तुरंत तोड़ लें. 

ये भी देखें: रबी के सीजन में तरबूज की खेती कर किसान हो रहे हैं मालामाल जानें क्या है तकनीक

खेती पर कितना आएगा खर्च?

एक हेक्टेयर खरबूजे की खेती पर कितना खर्च होगा, यह जान लेना वभी जरूरी है.

  • खेती का खर्च एक हजार रुपये.
  • दो से तीन किलो बीज का खर्च करीब तीन हजार रुपये.
  • खेत की तैयारी, रोपाई और खाद का खर्च करीब छह हजार रुपये.
  • मजदूरी और खरबूजा तुड़ाई का खर्च करीब तीन हजार रुपये.
  • कीटनाशक का खर्च करीब 13 से 15 हजार रुपये.

क्या मिलेगा फायदा?

एक हेक्टेयर के खेत में खेती करने से करीब दो सौ से ढ़ाई सौ क्विंटल का उत्पादन होता है.बाजार में खरबूजा 15 से 30 रुपये प्रति किलो बिकता है. इसकी फसल से एक बार में करीब ढ़ाई से चार लाख तक कमाई की जा सकती है. 

इसके अलावा इसके बीजों को बेचकर भी कमाई की जा सकती है. करीब 6 क्विंटल बीजों का उत्पादन 15 हजार रुपये क्विंटल तक बिकता है. इसकी आय में खर्चे को हटाने के बाद भी अच्छा खासा मुनाफा होता है.

पीले तरबूज का स्वाद लोगों को लाल तरबूज से ज्यादा पसंद आ रहा है, मुनाफा भी मिल रहा है।

पीले तरबूज का स्वाद लोगों को लाल तरबूज से ज्यादा पसंद आ रहा है, मुनाफा भी मिल रहा है।

आजकल नई नई तकनीक और फसलों की विभिन्न नई किस्में विकसित हो रही हैं। पीला तरबूज इस भूमि पर सिर्फ आज से नहीं बल्कि 5 हजार वर्ष पूर्व से है। पहले यह केवल अफ्रीका के अंदर ही की जाती था। परंतु, अब इसको पूरे विश्व में उत्पादित किया जाता है। गर्मियों का मौसम आते ही तरबूजों की मांग बाजार में काफी बढ़ जाती है। यदि आप भी तरबूजों को पसंद करते हैं, तो गर्मी में लाल-लाल तरबूज खाने से स्वयं को रोक नहीं सकते हैं। लेकिन हम आज लाल तरबूज के नहीं पीले तरबूज के विषय में चर्चा कर रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि लाल तरबूज से कहीं अधिक अच्छा होता है पीला तरबूज। बाजार में भी फिलहाल लाल तरबूज की भांति पीले तरबूज की भी मांग बढ़ी है। अधिकांश लोग फिलहाल इस तरबूज को बेहद अच्छा मानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके अंदर विघमान गुण इसे औषधीय रूप से लाल तरबूज से बेहतर बताते हैं। इसके साथ ही आपकी जानकारी के लिए बतादें पीले तरबूज का स्वाद भी लाल तरबूज से अच्छा होता है।

पीला तरबूज किस जगह से आया है

पीला तरबूज इस धरती पर सिर्फ अभी ने नहीं बल्कि 5 हजार वर्ष पहले से मौजूद है। पूर्व में यह केवल अफ्रीका में पैदा किया जाता था। अब इसको संपूर्ण विश्व में उत्पादित किया जाता है। अमेरिका, चीन और बाकी बहुत सारे देशों में इस तरबूज की मांग में वृद्धि हुई है। भारतीय बाजारों में भी गिने-चुने कुछ स्थानों पर यह मौजूद है। दरअसल, आजतक यह लोकल बाजारों में आवक नहीं हुई है। परंतु, धीरे-धीरे यह तीव्रता से लोकल बाजारों में भी पहुंच जाएगा। ये भी पढ़े: रबी के सीजन में तरबूज की खेती कर किसान हो रहे हैं मालामाल जानें क्या है तकनीक

किस वजह से तरबूज का रंग पीला होता है

विज्ञान के मुताबिक, तरबूजों का रंग किस प्रकार का होगा यह निर्धारित करता है, लायकोपीन नाम का एक रसायन। जिस तरबूज में यह रसायन अधिक होता है, उस तरबूज का रंग उतना ही ज्यादा लाल होता है। पीले तरबूज में यह रसायन मौजूद नहीं होता है। यही वजह है, कि इस तरबूज का रंग पीला होता है। हालांकि, पीला तरबूज लाल तरबूज की तुलना में अधिक मीठा होता है। इसे खाने वाले लोग कहते हैं, कि इसका स्वाद बिल्कुल शहद की भांति होता है। इस तरबूज में विटामिन ए की मात्रा प्रचूर मात्रा में पायी जाती है।

यह तरबूज मुख्यत कहा उगाया जा सकता है

यह तरबूज हर एक जगह पर उत्पादित नहीं किया जा सकता। इनको डेजर्ट किंग भी कहा जाता है, मतलब कि रेगिस्तान का राजा। यह केवल रेगिस्तानी क्षेत्र में ही पाए जाते हैं। यदि आप पीले तरबूजों की खेती करना चाहते हैं, तो भारत में यह केवल गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों में ही संभव है।